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जो नर दुख मै दुख नही मानै, सुख सनेहो अर मै नही जाकै…

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रवि योग में कल मनाई जाएगी राम नवमी

मंदिर भी सज-धजकर तैयार हैं
लखनऊ। वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने भक्तों के दुख दूर करने और दुष्टों का अंत करने के लिए चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, कर्क लग्न, अभिजीत मुहूर्त और पुनर्वसु नक्षत्र में धरती पर जन्म लिया था। प्रभु श्रीराम के जन्मदिन को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान राम का जन्मदिन मनाने के लिए जहां भक्तों ने तैयारी कर ली है तो वहीं मंदिर भी सज-धजकर तैयार हैं।
पंचाग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01:30 बजे से शुरू होगी, जो 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 3:14 बजे तक रहेगी। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए उदया तिथि मान्य होती है इसलिए इस साल राम नवमी का पर्व 17 अप्रैल 2024 (दिन बुधवार) को मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त
राम नवमी पर इस बार यानी 17 अप्रैल को रवि योग बन रहा है, जो बड़ा ही शुभ होता है। रवि योग पूरे दिन रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में भगवान सूर्य का प्रभाव होता है। रवि योग में पूजा-पाठ करने से भक्त की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। राम नवमी के दिन भगवान राम की उपासना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक है। राम नवमी के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक है। इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक है। राम नवमी के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत करने से प्रभु राम की भक्त पर कृपा बनी रहती है। प्रभु राम की अराधना करने से हनुमान जी की भी कृपा बनी रहती है। इस दिन यदि आप किसी कारण से प्रभु राम की पूजा-अर्चना नहीं कर पाएं तो कम से कम राम नाम का जाप 108 बार जरूर करें। इससे आपकी परेशानियां दूर हो जाएंगी।

पूजा विधि
राम नवमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करने चाहिए। इसके बाद घर में पूजा स्थान या मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करने चाहिए। फिर भगवान राम सहित अन्य देवी-देवताओं को स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। भगवान राम की पूजा-अर्चना मध्य दोपहर में शुरू करनी चाहिए। भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता, फल और फूल अर्पित करें, इसके बाद प्रभु राम को भोग लगाएं। इसके बाद श्री रामचरितमानस का पाठ करें या श्री राम के मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद भगवान राम की आरती अवश्य करें। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान करें।