नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने आदेश की अवहेलना करने के लिए जर्मनी की ऑटो क्षेत्र की प्रमुख कंपनी फॉक्सवैगन को कड़ी फटकार लगाई है। एनजीटी ने 16 नवंबर 2018 के उसके आदेश के अनुसार 100 करोड़ रुपए जमा ना कराने के लिए गुरुवार को कंपनी की खिंचाई की और उसे 24 घंटे के भीतर धनराशि जमा कराने के निर्देश दिए।
पालन ना करने पर कड़ी आपत्ति जताई
एनजीटी ने यह भी कहा कि अगर शुक्रवार तक धनराशि जमा नहीं कराई गई तो कंपनी के निदेशकों को जेल भेज दिया जाएगा। एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने ऑटोमोबाइल कंपनी द्वारा उसके आदेश का पालन ना करने पर कड़ी आपत्ति जताई और उसे एक हलफनामा देने के लिए कहा कि वह शुक्रवार शाम पांच बजे तक धनराशि जमा कराएगी। पीठ में न्यायमूर्ति एस पी वांगड़ी भी शामिल है। उन्होंने कहा, आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया जबकि कोई रोक नहीं थी। हम आपको और समय नहीं देंगे। पीठ ने फॉक्सवैगन को राशि जमा कराने के बाद एक हलफनामा जमा कराने के लिए भी कहा। अधिकरण को सूचित किया गया था कि उच्चतम न्यायालय भी इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है जिसके बाद उसने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी थी।
फॉक्सवैगन ग्रुप इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा
फॉक्सवैगन ग्रुप इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत में उसकी सभी कारें उत्सर्जन मानकों को पूरा करती हैं। भारत में फॉक्सवैगन समूह के प्रवक्ता ने कहा, समूह इस बात को दोहराता है कि भारत में उसकी सभी कारें उत्सर्जन मानकों को पूरा करती हैं। एनजीटी के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। हालांकि, फॉक्सवैगन समूह एनजीटी के आदेश का अनुपालन करते हुए यह राशि जमा कराएगा। अधिकरण ने पिछले साल 16 नवंबर को कहा था कि फॉक्सवैगन ने भारत में डीजल कारों में जिन चीट डिवाइस का इस्तेमाल किया उससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा और उसने जर्मन कंपनी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में 100 करोड़ रुपए की अंतरिम राशि जमा कराने के लिए कहा।
शिक्षिका सलोनी ऐलावादी
अधिकरण एक स्कूल शिक्षिका सलोनी ऐलावादी और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उत्सर्जन नियमों के कथित उल्लंघन के लिए फॉक्सवैगन के वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई। अधिकरण ने कहा था कि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने पाया कि नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन पांच से नौ गुना ज्यादा है। उसने कहा कि हालांकि नियमों के उल्लंघन के लिए 100 फीसदी वाहनों को वापस ले लिया गया लेकिन कंपनी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। फॉक्सवैगन इंडिया ने उत्सर्जन सॉफ्टवेयर में सुधार के लिए दिसंबर 2015 में भारत में 3,23,700 लाख वाहनों को वापस बुला लिया था। इससे पहले एआरएआई ने कुछ मॉडलों पर टेस्ट किए थे और पाया कि सड़क पर उत्सर्जन स्वीकार्य सीमा से 1.1 से 2.6 गुना ज्यादा है।