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वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी आज, भक्त करेंगे बप्पा की पूजा

साल में 12 विनायक चतुर्थी और 12 संकष्टी चतुर्थियां होती हैं
लखनऊ। इस साल आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। अक्टूबर महीने की इस चतुर्थी को वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। इस चतुर्थी का व्रत संतान की लंबी उम्र व अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है। वक्रतुण्ड चतुर्थी के दिन गणेश भगवान और चंद्र देव की पूजा-उपासना की जाएगी। कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। कहा जाता है कि इस तिथि पर बप्पा की पूजा का सार्थक फल भक्तों को मिलता है. वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की तारीख करीब आ रही है। ऐसे तो साल में 12 विनायक चतुर्थी और 12 संकष्टी चतुर्थियां होती हैं, लेकिन कार्तिक महीने में पड़ने वाली चतुर्थी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

पूजा विधि
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्म बेला में उठकर भगवान गणेश का ध्यान कर दिन की शुरूआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले रंग का वस्त्र का धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब पंचोपचार कर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। इस समय भगवान गणेश को पीले रंग का फूल, फल, मोदक, मालपुए और दूर्वा अर्पित करें। पूजा के समय गणेश चालीसा और गणेश स्तोत्र का पाठ एवं मंत्र जप करें। अंत में आरती करें। इस समय भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर वरीयान योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से हो रहा है। साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग में देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से व्रती को दोगुना फल प्राप्त होगा।

चांद निकलने का टाइम
दृक पंचांग के अनुसार, 21 अक्टूबर को रात 07 बजकर 54 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।

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