नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए भारतीय बातचीत टीम का नेतृत्व करने वाले एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (सेवानिवृत्त) ने शुक्रवार को यह आरोप खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने समानांतर बातचीत की थी। राफेल सौदे को लेकर छिड़े विवाद के बीच उनकी यह प्रतिक्रिया आई है।
पूर्व रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने यह भी कहा
पूर्व रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने यह भी कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि पीएमओ एक समानांतर वार्ता कर रहा था, जैसा कि मीडिया में आई एक खबर में आरोप लगाया गया है। कुमार ने इस सौदे का बचाव करते हुए कहा कि सर्वाधिक पारदर्शी तरीके से यह बातचीत हुई थी। सिन्हा ने कहा, कोई समानांतर बातचीत नहीं हुई और अंतरसरकारी समझौते में शामिल हर शब्द पर भारत और फ्रांस की वार्ताकार टीम ने किसी अन्य एजेंसी की भागीदारी के बगैर संयुक्त रूप से फैसला लिया। सिन्हा वायुसेना के उन शीर्ष अधिकारियों में शामिल थे जो भारत की ओर से बातचीत टीम का नेतृत्व कर रहे थे।
सिन्हा ने नोट का जिक्र करते हुए कहा
सिन्हा ने नोट का जिक्र करते हुए कहा कि जिस अधिकारी ने इसकी शुरूआत की थी वह बाचतीत टीम का हिस्सा नहीं थे और ऐसा करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं बनता। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहली बार यह नोट मीडिया में देखा। उन्होंने कहा, हममें से कोई भी नोट के बारे में अवगत नहीं था । सिन्हा ने कहा कि यह अस्पष्ट है कि किसके इशारे पर यह नोट लिखा गया। दरअसल, अंग्रेजी अखबार द हिंदू में राफेल सौदे पर एक खबर आने के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया है।
खबर के मुताबिक भारत और फ्रांस के बीच
खबर के मुताबिक भारत और फ्रांस के बीच 59, 000 करोड़ रूपए के राफेल विमान सौदे के लिए पीएमओ की बातचीत के दौरान रक्षा मंत्रालय ने सख्त ऐतराज जताया था। खबर में रक्षा मंत्रालय की फाइल नोट का जिक्र किया गया है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्ष के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कुमार उस वक्त रक्षा सचिव थे जब इस सौदे पर हस्ताक्षर किया गया था। उन्होंने कहा कि यह विषय सोवरेन गारंटी से संबद्घ था ना कि कीमत से । उन्होंने कहा कि ऐसे कई अनसुलझे मुद्दे हैं, जिनका हल किया गया है और सोवरेन गारंटी इसमें से एक थी। कुमार ने कहा कि कीमत पर सभी बाचतीत कमेटी ने की।