गीत, अभिव्यक्ति और मन की बात सब कुछ साहित्य

गोमती पुस्तक महोत्सव -फिल्मकार मुजफ्फर अली, लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने की चर्चा
लखनऊ। रिवरफ्रंट पार्क में जारी गोमती पुस्तक महोत्सव अपने अन्तिम पड़ाव पर पंहुच चुका है। रविवार को पुस्तक महोत्सव विदा हो जाएगा। इससे पूर्व शनिवार को फिल्म जगत की हस्तियों फिल्मकार मुजफ्फर अली, डा. अनिल रस्तोगी और लोकगायन में प्रदेश का नाम रोशन करने वाली वरिष्ठ लोकगायिका पद्मश्री डा. मालिनी अवस्थी ने महोत्सव में आकर्षण बिखेरा।
लेखक गंज में हुए लोक संगीत और साहित्य सत्र में लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने लोक संगीत के विभिन्न आयामों पर बात की। साहित्य हम सबके जीवन में है। यह गीत, अभिव्यक्ति में, मन की बात में है। जो हम कह रहे हैं, बोल रहे हैं वो साहित्य है। मालिनी अवस्थी ने अगले सत्र के मुख्य वक्ता मुजफ्फर अली के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि आज भी मुजफ्फर अली बहुत पढ़ते हैं। पढ़ना हमें लोक साहित्य और लोक से जोड़ता है। इसीलिए हम सभी को हमेशा पढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने ‘चांदनी छिपी छिपी जइहौं अटरिया में’ गीत गाकर श्रोताओं के दिलों को छुआ।
लेखक गंज के तीसरे सत्र में उर्दू भाषा और फिल्म जगत की प्रसिद्ध हस्ती मुजफ्फर अली ने अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने फिल्म निर्माण पर विस्तार से चर्चा करते हुए उमराव जान फिल्म निर्माण से संबंधित जानकारियां साझा कीं। उन्होंने अपनी फिल्म में अवध और अवध की संस्कृति को सही तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कलाकार को अभिनय करते हुए उस फिल्म की पृष्ठभूमि को अच्छे से समझना चाहिए और उसके परिवेश में ढलना चाहिए।

लोकथाओं के इतिहास से मिलाया
पुस्तक महोत्स्व के शब्द संसार में शिवानी कनोडिया ने अनोखे अंदाज में विद्यार्थियों को कहानी सुनाई। कनोडिया ने पहले सत्र की शुरूआत करते हुए बच्चों को बताया कि वो ऐसी कहानियां सुनायेंगी जिसमें ध्वनि होगी, लय होगी, उन्होंने बताया की कहानियां हमें काल्पनिक दुनिया में ले जाती हैं। शिवानी ने बताया की लोककथाएं वो होती हैं जो पीढ़ियों से चलती आ रही हैं और यह हमें हमारे पूर्वजों के रहन-सहन और संस्कृति के बारे में बताती हैं। उन्होंने बच्चों को एक लोककथा भी सुनाई और उसके माध्यम से उन्होंने बताया कि जूतों का अविष्कार कैसे हुआ। वहीं बाल फिल्म महोत्सव में चेक गणराज्य की ह्यसीक्रेट्स आॅफ एन ओल्ड गन 2 नामक फिल्म दिखाई।

सूफियाना कलाम से सजी शाम
गोमती पुस्तक महोत्सव में सूरज ढलने के साथ ही गजल और सूफी संगीत की शाम सजी। मशहूर गायिक इंदिरा नाइक ने अपने कलाम से शाम को सजाया। यहां दर्शकों को गजल और सूफियाना कलाम के साथ भजन भी सुनने को मिले।

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