सोमवती अमावस्या आज, बन रहा विशेष संयोग

लखनऊ। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु व पितरों की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। दिसंबर महीने में पौष अमावस्या पड़ रही है। अमावस्या के दिन सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 31 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।

वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का योग
30 दिसंबर को पौष माह की अमावस्या है। यह अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में सोमवती अमावस्या होगी। इस दिन वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है, जो इसे और भी पवित्र और फलदायी बनाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का विशेष महत्व होता है। खासकर जब यह सोम यानी सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस सोमवती अमावस्या पर वृद्धि योग बन रहा है, जो शुभ कार्यों और साधना के लिए अनुकूल है। मूल नक्षत्र इस दिन को और भी पवित्र बना रहा है। इस संयोग में किए गए धार्मिक कार्य और पूजा अत्यधिक फलदायी होते हैं। यह योग धन-धान्य, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

सोमवती अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त 2024:
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इसके बाद स्नान-दान का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 51 से सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। स्नान-दान का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

अमावस्या तिथि का महत्व-
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के दिन श्राद्ध व तर्पण करना उपयुक्त माना गया है। अमावस्या को अमावस या अमावसी भी कहा जाता है।

सोमवती अमावस्या उपाय-
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या की शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे चौमुखी घी का दीपक जलाने से आर्थिक तंगी दूर होती है। इस दिन गौसेवा करने से मां लक्ष्मी का घर पर वास होता है। सोमवती अमावस्या के दिन गेहूं के आटे की रोटी बनाकर, उस पर गुड़ का टुकड़ा रखकर गाय को खिलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर पर स्थाई वास होता है।

पूजा-विधि :
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान करनेके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

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