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आईआईएम, आईआईटी, यूजीसी के बजट पर चली कैंची

नई दिल्ली। आईआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर, यूजीसी और एआईसीटीई जैसी उच्च शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं के बजट आवंटन में शुक्रवार को लोकसभा में पेश 2019-20 के अंतरिम बजट में कैंची चली। यह ऐसे वक्त में हुआ है जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा है कि वह शैक्षिक वर्ष 2019 से सामान्य श्रेणी के आर्थिक तौर पर पिछड़े तबके को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करेगा।

देश के शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में

साथ में, मंत्रालय ने समूचे देश के शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में करीब 25 प्रतिशत सीटें बढ़ाने का भी निर्देश दिया है। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) को बजट में व्यय के लिए 415.41 करोड़ दिए गए हैं जो मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में 59.9 फीसदी कम है। 2018-19 वित्त वर्ष में इसे 1,036 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) को 6,223.02 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जबकि 2018-19 में 6,326 रुपए आवंटित किए गए थे। चालू वित्त वर्ष के बजट में पहले ही 2017-2018 की तुलना में आईआईटी के बजट में कटौती की गई थी। 2017-2018 में इसे 8,337.21 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जिसे 2018-19 में इसे कम करके 6,326 करोड़ रुपए कर दिया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के भी व्यय में कटौती की गई है।

2018-19 में यूजीसी को 4,722.75 करोड़ रुपए दिए गए

2018-19 में यूजीसी को 4,722.75 करोड़ रुपए दिए गए थे जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इसे 4,600.66 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को इस बार के अंतरिम बजट में 466 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जबकि 2018-19 के बजट में इसे 485 करोड़ रुपए दिए गए थे। मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में इस वैधानिक निकाय के बजट आवंटन में 2.70 फीसदी की कटौती की गई है। इन निकायों के लिए बजटीय व्यय 5,066.66 करोड़ रुपए रखा गया है जो 2018-19 में 5,107.75 करोड़ रुपए है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के बजट में भी कटौती की गई है। 2019-20 के अंतरिम बजट में संस्थान को 660 करोड़ रुपए दिए गए हैं जबकि 2018-19 में 689 करोड़ रुपए दिए गए थे।

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