लखनऊ। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस बुधवार को मनाया जाएगा। स्थापना दिवस पर पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खां का सरोद वादन खास आकर्षण होगा। अकादमी के स्थापना दिवस पर कई नयी शुरूआत हो रही हैं। एक तरफ जहां स्कॉलरशिप योजना शुरू की गई वहीं दूसरी ओर कला क्षेत्र में जीवन को समर्पित करने वाली उन विभूतियों की स्मृति में समारोह शुरू किए जा रहे हैं, जिनके नाम से अभी तक अकादमी की ओर से कोई समारोह नहीं होता है।
अकादमी निदेशक डा. शोभित कुमार नाहर ने कहा अकादमी का काम कला को समृद्ध करना है। जिन विभूतियों ने प्रदेश, देश, दुनिया में कला को स्थापित किया, उनको याद करते हुए उनके नाम से समारोह अकादमी की ओर से शुरू किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहले चरण में शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां, सितार वादक पंडित रविशंकर, शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान, तबला वादक अहमद जान थिरकवा, कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज एवं शास्त्रीय गायक बड़े रामदास महाराज की स्मृति में समारोह आयोजित होंगे। इन स्मृति समारोह के माध्यम से हम अपनी कला विभूतियों को न सिर्फ नमन कर सकेंगे बल्कि आने वाली संगीत की पीढ़ियों को प्रेरित भी कर सकेंगे। अकादमी निदेशक ने बताया कि दूसरे चरण में पंडित किशन महराज एवं गदई महाराज की स्मृति में समारोह को कैलेण्डर में शामिल किया जाएगा।
13 नवम्बर को 1963 को हुई अकादमी की स्थापना
राज्य में संगीत, नृत्य एवं नाट्य कला को समन्वित करने और उसका विकास करने के लिए 13 नवम्बर 1963 को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की स्थापना की गई थी, जो आधी शती से अधिक अपनी लंबी यात्रा में संगीत, नृत्य, नाटक, लोकसंगीत एवं लोकनाट्य की परम्पराओं के प्रचार-प्रसार संवर्धन एवं परिरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अकादमी ने जहां कलाओं और कलाकारों के प्रोत्साहन एवं संरक्षण का दायित्व निभाया है, उनका अभिलेखीकरण किया है, वहीं नई प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें कलाप्रेमियों के सामने लाने का कार्य भी किया गया है, जो कलाओं की परंपरा को बचाए रखने के लिए आवश्यक है।