रूमी दरवाजा को विश्व धरोहरों में शामिल करने की है तैयारी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से तैयार किया जा रहा विकास का खाका
लखनऊ। अवध वास्तुकला और लखनऊ शहर के प्रतीक रूमी दरवाजा को मुंबई के गेटवे आॅफ इंडिया और इंडिया गेट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। ताजमहल की तरह दरवाजे के सामने बैठकर दर्शक तस्वीर ले सकेंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से खाका तैयार किया जा रहा है।
मेहराब पर चिकनकारी व पान के पत्ते की डिजाइन से तैयार रूमी दरवाजे को विश्व के पर्यटन स्थलों में शामिल करने की तैयारी है। इससे पूर्व इसे भव्य रूप दिया जाएगा। इसके लिए रूमी दरवाजे के चारों ओर रंग-बिरंगी लाइटें, छोटे-छोटे गुंबद और बैठने का स्थान बनाया जाएगा। संगमरमर व विशेष पत्थरों पर ऐतिहासिक तस्वीरें उकेरी जाएंगी। प्रदेश के स्मारकों व धरोहरों के छायाचित्र भी लगाए जाएंगे। संवाद प्रदर्शनी और इंटरप्रिटेशन सेंटर की होगी स्थापना: राजधानी, देश- प्रदेश की धरोहरों, स्मारकों और पर्यटन स्थलों की जानकारियां दर्शकों को एक स्थान पर मिलेंगी। यहां अलग-अलग सदी की वास्तुकला के आधार पर बनीं इमारतों के बारे में दर्शक जान सकेंगे। रूमी गेट के पास ही प्रदर्शनी और इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना होगी।
वास्तुकार किफायतुल्लाह ने डिजाइन किया था रूमी दरवाजा
तुर्की वास्तुकार किफायतुल्लाह ने रूमी दरवाजे की डिजाइन तैयार की थी। अकाल राहत प्रोजेक्ट के तहत साल 1784 में नवाब आसफउद्दौला ने इसे बनवाया था। इसे तुर्किश गेटवे भी कहा जाता है। यह करीब 60 फीट ऊंचा है। दरवाजे पर हिंदू व मुस्लिम कला का मेल दिखता है।
रूमी दरवाजे को इंडिया गेट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। यह विश्व के पर्यटन स्थल में शुमार हो, इसे ध्यान में रखकर डिजाइन तैयार की जा रही है। प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। छायाचित्र व प्रदर्शनी के माध्यम से धरोहरों के इतिहास के बारे में जानकारी दी जाएगी।
- डॉ. आफताब हुसैन, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लखनऊ मंडल