क्ववीनमैरी अस्पताल में डा. अंजू अग्रवाल के नेतृत्व में हुआ सफल प्रसव
वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। दिल की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही एक गर्भवती का जटिल प्रसव कर डॉक्टरों ने महिला शिशु की जान बचा ली। केजीएमयू के क्ववीनमैरी अस्पताल में प्रो. अंजू अग्रवाल के नेतृत्व में हुई यह सर्जरी इस मायने में काफी जटिल थी क्योंकि महिला ईसेनमेंगर सिंड्रोम से ग्रसित थी।
प्रो. अंजू अग्रवाल ने बताया कि ईसेनमेंगर सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ और घातक बीमारी है। वैसे तो ज्यादातर यह जन्मजात बीमारी होती है और अधिकतर लोगों को अपनी बीमारी से बारे में पहले से पता होता है लेकिन कुछ महिलाएं जो इससे ग्रसित होती हैं, उन्हें गर्भवस्था में इसके लक्षण उभरते हैं। जैसे-जैसे गर्भ में शिशु बढ़ता है, गर्भवती को दिक्कतें होने लगती है। कई बार इससे प्रसव के दौरान गर्भवती की मौत हो जाती है। उन्होंने बताया कि इसी दुलर्भ बीमारी से पीड़ित गोरखपुर निवासी 26 वर्षीय नीलिमा बीते 10 अगस्त को इमरजेंसी में सांस लेने में कठिनाई और धड़कन में परेशानी के साथ आयी। गर्भावस्था का अंतिम चरण होने के कारण उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ रही थी। आनन-फानन में उसे इमरजेंसी में भर्ती किया गया। महिला की जान बचाने के लिए जल्द ही प्रसव कराना जरूरी था।
प्रसव कराने के लिए आपातकालीन एनेस्थीसिया टीम के साथ परामर्श किया, जिसका नेतृत्व प्रोफेसर जीपी सिंह और डॉ शशांक कनौजिया ने किया। डॉ. शशांक कनौजिया और उनकी टीम ने डॉ. करण कौशिक के परामर्श से दिल को सहारा देने के लिए दिल तक पहुंचने वाली प्रमुख वाहिकाओं के कैनुलेशन के बाद एक क्षेत्रीय तकनीक के साथ बेहद उच्च जोखिम वाले एनेस्थीसिया को अंजाम दिया। प्रो. अंजू अग्रवाल और डॉ मोना बजाज ने मिलकर महिला का आपेरशन कर मां और बच्चे को बचा लिया।
डॉ. शशांक और टीम द्वारा स्थिर किए जाने के बाद मां को ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट (टीवीयू) में भेज दिया गया। तबियत में सुधार के बाद 14 अगस्त को महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। डा अंजू ने बताया कि यह प्रसव इस कारण भी अधिक जटिल था क्योंकि दिल की ऐसी बीमारी में एनेस्थीसिया देना घातक हो सकता है। ऐसे में हाइपोक्सिया और अचानक मृत्यु हो जाती है। उनका कहना है कि एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर विभाग के सहयोग से ही महिला की सफल प्रसव कराया जा सका।