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देश के 26वें नौसेना अध्यक्ष बने एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी

नयी दिल्ली। संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने मंगलवार को देश के 26वें नौसेना अध्यक्ष का प्रभार संभाल लिया। उन्होंने...

भारत में फर्जी खबरों के प्रसार के पीछे राष्ट्रवाद अभियान: बीबीसी रिसर्च

लंदन। भारत में लोग जांचने-परखने का कोई प्रयास किए बगैर ही राष्ट्र निर्माण के उद्देश्यों से राष्ट्रवादी संदेश वाली फर्जी खबरें साझा करते हैं। बीबीसी ने सोमवार को जारी अपने एक अध्ययन में यह बात कही। उसने भारत, केन्या और नाईजीरिया में आम नागरिकों द्वारा फर्जी खबरें फैलाने के तौर तरीकों पर सघन अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला।

इस अध्ययन के अनुसार

इस अध्ययन के अनुसार ट्विटर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन वाले नेटवर्कों पर फर्जी खबर के स्रोत प्राय: एक ही होता है। आम नागरिकों के परिप्रेक्ष्य से फर्जी खबरों के प्रसार की इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फर्जी खबरों और मोदी समर्थक राजनीतिक गतिविधि के बीच साम्यता है। बीबीसी ने अपने प्रथम प्रकाशित अध्ययन में कहा है कि जब इस बात का गहराई से परीक्षण किया गया कि कैसे फर्जी खबरें और गलत सूचनाएं इक्रिप्टेड चैट एप के माध्यम से फैल रही है। तब यह सामने आया कि इस तरह की खबरें साझा करने में भावनाएं सिर चढ़कर बोल रही होती हैं।

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्रुप के निदेशक जेमी एंगूस ने कहा

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्रुप के निदेशक जेमी एंगूस ने कहा, मीडिया में ज्यादातर चर्चाएं पश्चिम में फर्जी खबरों पर केंद्रित होती हैं लेकिन इस शोध से इसका ठोस सबूत मिलता है कि दुनिया के बाकी हिस्से में भी ऐसी गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं और जब सोशल मीडिया पर खबरें साझा करने की बात आती हैं तो राष्ट्र निर्माण का विचार सच्चाई से आगे निकल जाता है। बीबीसी ने काफी सारे आंकड़ों के साथ व्यापक शोध किया और उसने पाया कि भारतीय ट्विटर नेटवर्क पर फर्जी खबरों के ज्ञात दक्षिणपंथी स्रोत वामपंथी स्रोतों की तुलना में आपस में अधिक जुड़े जान पड़ते हैं।  बीबीसी ने कहा, इससे वामपंथी फर्जी खबरों की तुलना में दक्षिण पंथी फर्जी खबरें अधिक तेजी से और व्यापक तौर पर फैलती हैं। यह अध्ययन बीबीसी बियोंड फेक न्यूज परियोजना का हिस्सा है।

अध्ययन में खुलासा किया गया

बीबीसी ने इस परियोजना के तहत गलत सूचना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पहल संबंधी कार्यक्रमों और परिचर्चा इसी हफ्ते शुरु की है। इस अध्ययन में खुलासा किया गया है कि भारत, केन्या और नाइजीरिया में लोग अनजाने में फर्जी खबरें फैलाते हैं और वे यह भी उम्मीद करते हैं कि कोई अन्य उनके लिए इस खबर की सच्चाई परखेगा। अध्ययन में कहा गया है, भारत में लोग ऐसे संदेश भेजने में अनिच्छुक होते हैं जिनसे उन्हें लगता है कि हिंसा भड़क सकती है लेकिन वे राष्ट्रवादी संदेशों को साझा करने को अपना कर्तव्य महसूस करते हैं। उसमें कहा गया है, भारत की प्रगति, हिंदू शक्ति, खोए हिंदू वैभव के बारे में फर्जी खबरें बिना जांचे-परखे साझा की जा रह है। इन संदेशों को साझा करते समय लोग महसूस करते हैं कि वे राष्ट्र निर्माण कर रहे हैं।