मासिक कालाष्टमी आज, होगी काल भैरव की पूजा

काल भैरव पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है
लखनऊ। सनातन धर्म में काल भैरव की पूजा-अर्चना करने का अधिक महत्व है। काल भैरव को अष्टमी तिथि समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस अवसर पर भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव उपासना करने का विधान है। इस बार मासिक कालाष्टमी 01 मई को मनाई जाएगी। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कुछ गलतियों को करने से काल भैरव रुष्ट हो सकते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 01 मई को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 02 मई को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर होगा। इसके चलते 1 मई को मासिक कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ साबित होगा।

मासिक कालाष्टमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं और सुख-शांति का वास होता है। कहा जाता है कि कालाष्टमी व्रत रखने से नकारात्मकता ऊर्जा हमेशा दूर रहती हैं और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है।

भूलकर भी न करें ये गलतियां
मासिक कालाष्टमी के दिन किसी भी तरह की नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। कालाष्टमी के दिन भूलकर भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए, भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस दिन मांस मदिरा और हर प्रकार के नशे से दूरी बनानी चाहिए। इससे शुभ परिणाम नहीं मिलते हैं।

मासिक कालाष्टमी पूजा विधि
साधक सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। फिर अपने घर व मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें। एक वेदी पर भगवान भैरव की प्रतिमा स्थापित करें। फिर पंचामृत से उनका अभिषेक करें। इसके बाद प्रतिमा साफ वस्त्र से पोंछे। इत्र लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें।
चंदन का तिलक लगाएं। फल-मिठाई इत्यादि चीजों का भोग लगाएं। भगवान के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ भाव के साथ करें। आरती से अपनी पूजा समाप्त करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे। व्रती अगले दिन प्रसाद से अपना व्रत खोलें। गरीबों को भोजन खिलाएं और वस्त्र बांटे।

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