लखनऊ। बुधवार को राजधानी के जैन मंदिरों में दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की पूजा की गयी। गोमतीनगर जैन मन्दिर में भगवान का अभिषेक एवं सांगानेर से आए पंडित अनुज शास्त्री एवं संगीतकार सौरभ के सानिध्य में दशलक्षण धर्म विधान सम्पन्न हुआ। शास्त्री जी ने शौच धर्म के बारे में बताया कि मनुष्य को अपने जीवन में लोभ नहीं करना चाहिए कितनी भी कठिन परिस्थिति आए उसको संतोष रखना चाहिए। मुख्य शांति धारा विनय कपूर एवं देवेंद्र जैन परिवार द्वारा की गई एवं भगवान 1008 श्री पुष्पदंत का मोक्ष कल्याणक भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया एवं उनको लाडू अर्पण किया गया। लाडू चढ़ाने का सौभाग्य गजेन्द्र जैन परिवार को मिला।
गोमती नगर जैन समाज के अध्यक्ष पीके जैन मंत्री आलोक जैन, सुकांत, निकांत, संदीप, पीयूष, राकेश, अशोक, पीसी जैन आदि उपस्थित रहे। शाम को जैन महिला मंडल की अनीता, दीपाली, वैशाली, अर्चना , दीपिका आदि द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है: शुभी दीदी
लखनऊ। इन्दिरा नगर जैन मन्दिर मे दशलक्षण धर्म के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की पूज की गई। बाल ब्रह्मचारिणी शुभी दीदी ने अपने उद्बोधन मे कहा कि उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता। आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है। प्रात: भगवान पुष्पदंत का निर्वाण कल्याणक बड़ी धूम धाम से मनाया गया । सर्वप्रथम भगवान को पांडुक शिला पर विराजमान कर सनत कुमार महावीर दिव्य अतिवीर ई पीके जैन एवं सागर जैन द्वारा अभिषेक एवं शांतिधारा की गई। कौशल जैन शालू मिथलेश एवं देवेन्द्र कुमार द्वारा भगवान को निर्वाण कांड पढ़ कर लाडू चढ़ाया गया । सभी भक्तों द्वारा भावना भाई गई की निकट भविष्य मे हम भी मोक्ष रूपी लक्षी को धारण कर सकें । जैन समाज के मंत्री अभिषेक जैन ने बताया की आज लगभग 800 जैन धर्मावलंबियों द्वारा जैन मंदिर इंदिरा नगर मे लाडू चढ़ाया गया। उन्होंने बताया कि सुगंध दशमी पर्व 13 सितंबर दिन शुक्रवार को धूम धाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर ललित जैन पुष्पेंद्र , आकाश मनोज अनुरोध अरविन्द ऋषभ आदि उपस्थित रहे ।
10 लक्षण धर्म का चौथा दिन उत्तम शौच
राजधानी में चल रहे जैन धर्म के 10 लक्षण पर के चौथे दिन भगवान पुष्पदंत, जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर का आज मोक्ष कल्याणक बहुत ही धूमधाम से जैन श्रद्धालुओं ने भक्ति गीत एवं मंत्रों के साथ पूजा अर्चना करके मनाया। जिस तरह अतिथि के आगमन के पूर्व घर की सफाई अनिवार्य है ,बीजारोपण के पूर्व भूमि की सफाई आवश्यक है उसी प्रकार सत्य के आगमन के पूर्व आत्मा की सफाई आवश्यक है। जिस प्रकार कंकर मिश्रित खीर में स्वाद का आनंद नहीं होता उसी प्रकार लोभ मिश्रित जीवन में धर्म का आनंद नहीं होता लोभ को मारना ही परमात्मा को पाना है, उक्त विचार मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने काकोरी स्थित परस धाम में चल रहे शिविर के दौरान 10 लक्षण पर्व के चतुर्थ दिवस पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा शौच धर्म का अर्थ है की आत्मा में लोभ का अंकुर फूटे उससे पहले ही उसे मिटा डालना संसार के धन को संसार वृद्धि का कारण समझना क्योंकि धन आसक्ति का भाव उत्पन्न करता है वह मृत्यु स्वीकार कर लेगा पर धन नहीं त्यागेगा। इसलिए महावीर ने कहा या तो इसे व्यर्थ समझना या इस परोपकार दान में लगा देना क्योंकि जो देता है वह देवता होता है और जो रखता है वह राक्षस होता है। लोभी के हाथों में पूरा विश्व भी आ जाए तो भी उसे संतोष नहीं होता लोभ की दुर्गंध ना आने देना ही शौच धर्म कहलाता है। उधर चौक में श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में 48 दीपक चढ़ाने का सौभाग्य अंकुर जैन को प्राप्त हुआ। गुडंबा जैन मंदिर में सभी धार्मिक क्रियाएं आज आदिश्वर कुमार जैन के निर्देशन में संपन्न हुई।