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अपराधियों के कर्मों की सजा उनके परिवार को न मिले, बुलडोजर कार्रवाई पर बोलीं मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने देश में आपराधिक तत्वों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रुख की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि अपराधियों के कर्मों की सजा उनके परिवार के सदस्यों और नजदीकी लोगों को नहीं मिलनी चाहिए।

मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस मामले को लेकर सिलसिलेवार पोस्ट किए। उन्होंने कहा, देश में आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई कानून के तहत होनी चाहिए और इनके अपराध की सजा इनके परिवार के सदस्यों व नजदीकी लोगों को नहीं मिलनी चाहिए। यह सब हमारी पार्टी की पूर्व सरकार ने कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करके दिखाया था।

बसपा प्रमुख ने कहा, बुलडोजर का भी इस्तेमाल अब माननीय सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले के मुताबिक होना चाहिए। हालांकि, उचित तो यही होगा कि इसका इस्तेमाल करने की जरूरत ही न पड़े, क्योंकि आपराधिक तत्वों से सख्त कानून के तहत भी निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा, जबकि आपराधिक तत्वों के परिवार के सदस्यों और नजदीकियों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल करने के बजाय संबंधित अधिकारियों पर ही कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, जो ऐसे तत्वों से मिलकर पीड़ितों को सही न्याय नहीं देते हैं। सभी सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई के बढ़ते चलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम टिप्पणी करते हुए सवाल किया था कि किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तैयार करेगी, जो पूरे देश में लागू होंगे। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण या सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में राज्य द्वारा पहले दायर हलफनामे का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसकी अचल संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार कभी नहीं हो सकता।

मेहता ने कहा कि राज्य ने कहा है कि किसी अचल संपत्ति का ध्वस्तीकरण केवल किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए और संबंधित नगरपालिका कानून या क्षेत्र के विकास प्राधिकरणों को नियंत्रित करने वाले कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी अचल संपत्ति को केवल इस आधार पर ध्वस्त नहीं किया जा सकता कि उस संपत्ति का मालिक या उस पर कब्जा करने वाला व्यक्ति किसी अपराध में शामिल था। पीठ ने कहा, यदि आप इस स्थिति को स्वीकार करते हैं, तो हम इसे दर्ज करेंगे और सभी राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे।

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