- भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् की क्षितिज श्रृंखला कार्यक्रम
- वृंदावन धाम की ओडिसी गुरु कुंजलता मिश्रा ने दी प्रस्तुति
लखनऊ। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् की क्षितिज श्रृंखला के अंतर्गत वृंदावन धाम की ओडिसी गुरु कुंजलता मिश्रा ने पारंपरिक ओडिसी नृत्य से दर्शकों को आनंदित कर दिया। संगीत नाटक अकादमी की वाल्मीकि रंगशाला में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने अपनी प्रभावी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरूआत में संचालक कथक नृत्यांगना अदिति थपलियाल ने गुरू कुंजलता का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि गुरु कुंजलता मिश्रा का जन्म जाजपुर (उड़ीसा) में हुआ। आपने 9 वर्ष की आयु से ही ओडिसी नृत्य की शिक्षा प्रसिद्ध गुरु श्री पीताम्बर विश्वाल और गुरु श्री दुर्गा चरण रणबीर से प्राप्त किया । आपने अखिल भारतीय गन्धर्व महाविद्यालय मुंबई में अलंकार करने के उपरांत ओडिसी नृत्य में परास्रातक की शिक्षा उत्कल महाविद्यालय के डॉ. विदुत कुमार चौधरी के मार्गदर्शन में करने के साथ ही आपने ओडिसी नृत्य में एम. फिल. की शिक्षा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
गुरु कुंजलता ने जगन्नाथ अष्टकम शीर्षक प्रस्तुति से भगवान जगन्नाथ की महिमा का अद्भुत वर्णन-किया। यह दिव्य स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है, जिसमें आठ धोकों के माध्यम से भगवान जगन्नाथ के अलौकिक स्वरूप, उनकी लीलाओं और भक्तों पर उनकी अनंत कृपा का वर्णन किया गया है। रवाकरस्थित श्याम, जगदाधाररूपिणम्। मदा मंगलदं देवं, जगनार्थ नमाम्यहम्॥ राग – मालिका, ताल- मालिका, नृत्य संयोजन गुरु दुर्गा व्हारण रणवीर और याहि माधव याहि केशव, याहि माधव याहि केशव मा वद कैतववादम् । रचनाओं पर प्रभावी नृत्य कर खूब प्रशंसा पाई।
राग – बैरागी, एक ताल, नृत्य संयोजन स्व. गुरु देव प्रसाद दास…. में ढले शिवाष्टकम- निवाष्टकम भगवान शिव की महिमा का वर्णन कर पूरा वातावरण शिवमय कर दिया। आईसीसीआर के क्षेत्रीय निदेशक अरविंद कुमार ने गुरू कुंजलता का स्वागत किया और दर्शकों का आभार जताया।