श्रद्धा व सत्कार से मनाया गुरु अरजन देव जी महाराज का प्रकाश पर्व
लखनऊ। शहीदों के सरताज, सुखमनी साहिब जी जैसी मीठी और निर्मल बाणी के रचयिता, प्रेम भक्ति की मूरत, सहनशीलता एवं त्याग के प्रतीक, निमरता की शाखशात सरुप तथा बाणी के बोहिथ, प्रतख हरि, शान्ती के पुंज सिखों के पांचवें गुरु साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) को ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिन्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
शाम का दीवान 6.30 बजे रहिरास साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जो 9.30 बजे तक चला। जिसमें हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में गुरु अरजन सच सिरजन हारा।। शबद कीर्तन गायन एवं नाम करवाया।
ज्ञानी गुरमीत सिंह जी गुरुद्वारा अहियागंज वालों ने साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आप का जन्म आज ही के दिन गोइंदवाल साहिब अमृतसर में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री गुरु रामदास जी और माता जी का नाम बीबी भानी जी था। गुरु जी का ज्यादातर बचपन गोइंदवाल साहिब में बीता। बचपन से ही आपने गुरु मयार्दा सीखी जिसका फल यह हुआ कि गुरु बनने से पहले आपने ईश्वर से प्रार्थना की कि हे करतार ऐसी बुद्धि बख्शो जिससे संतों, साधुओं की सेवा करें और उनके चरणों का आसरा लेकर जीवन सफल करें। प्रभु सिमरन और माता पिता की सेवा को देखकर आपके पिता जी ने आप में सभी गुण देखकर आपको गुरु गद्दी सौंप दी। आपने सेवा आरम्भ कर एक सरोवर बनवाया जिसका नाम श्री अमृतसर रखा। सरोवर के बीचो बीच में श्री हरिमंदिर साहिब की स्थापना की, जिसकी नींव प्रसिद्ध फकीर मीयां मीर से रखवायी। श्री हरिमंदिर साहिब के निर्माण के बाद आपने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के सम्पादन का कार्य आरम्भ कर दिया सभी गुरूओं और भक्तों की बाणियों को संकलन करके एक ग्रन्थ तैयार करने की सेवा आपने भाई गुरुदास जी को सौंपी। रामसर सरोवर के किनारे बैठकर भाई गुरुदास जी ने यह सेवा निभाई जिसका मूल तत्व परमपिता परमेश्वर की अराधना करना, जाति-पाति एवं अन्ध विश्वासों का खण्डन करना और लोगों में आपसी भाई चारे की भावना पैदा कर परमेश्वर से जोड़ना है। उन्होंने 1604 को पहली बार श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को श्री हरमन्दिर साहिब श्री अमृतसर में स्थापित किया जिसके पहले ग्रन्थी बाबा बुड्ढ़ा जी बने। श्री गुरू अरजन देव जी ने 30 रागों में 2312 शबद लिखे जो श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज है जिसमें श्री सुखमनी साहिब प्रमुख हैं। विशेष रूप से पधारे रागी जत्था भाई सुखप्रीत सिंह जी लखनऊ वालों ने अपनी मधुर वाणी में शबद-जपउ जिन अरजन देव गुरु फिर संकट जोनि गरभ न आयउ। शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया।
कार्यक्रम संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिह बग्गा जी ने समूह संगत को साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी उसके दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा गुरु का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
सिक्खों के पाँचवे गुरू साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के शहीदों दिवस को समर्पित श्री सुखमनी साहिब के पाठों की आरम्भता 01 मई दिन बुधवार को माता गुजरी सत्संग सभा की सदस्याओं एवं संगत द्वारा ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला लखनऊ में होगी जो प्रात: 5:00 बजे से 7:00 बजे तक 40 दिनों तक चलेगा जिसका समापन 10 जून 2024 को साहिब श्री गुरू अर्जन देव जी महाराज के शहीदी दिवस के दिन होगा।
गुरुद्वारा मानसरोवर में सजा विशेष दीवान
लखनऊ। श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी महाराज का प्रकाश पर्व मंगलवार को गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा मानसरोवर गुरु तेग बहादर नगर एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड लखनऊ में बहुत ही धूमधाम से मनाया जायेगा ।
अध्यक्ष सरदार सम्पूरन सिंह बग्गा ने बताया के दीवान की आरंभता अमृत वेले से नितनेम, सुखमनी साहिब जी के पाठ के साथ हुई पाठ संगत ने मिलकर किए हजूरी रागी भाई गुरमुख सिंह जी ने आशा दीवार के कीर्तन किए। हैड ग्रंथि ज्ञानी हरिन्दर सिंह जी ने संगत को गुरु अर्जन देव सहिब महाराज जी के इतिहास के बारे में बताया । हजूरी रागी भाई गुरमुख सिंह जी ने शब्द कीर्तन करते हुए दीवान की समाप्ति की उपरांत अध्यक्ष सरदार सम्पूरन सिंह बग्गा एवं उपाध्यक्ष यशपाल सिंह एवं सचिव गगनदीप सिंह बग्गा ने संगतो को गुरु अर्जन देव साहिब महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी । दीवान की समाप्ति उपरांत गुरु का लंगर अटूट वितरित किया गया । मीठे खीर एवं लड्डूओ एवं ड्राईफ्रूट एवं समोसे के लंगर अटूट वितरित किए गए । बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरु अर्जन देव साहिब महाराज जी के प्रकाश पर्व को बहुत ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया।
यहियागंज में श्रद्धापूर्वक मना प्रकाश पर्व
लखनऊ। ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी यहियागंज में सिक्खों के पांचवे गुरु शहीदों के सरताज श्री गुरु अर्जन देव जी का प्रकाश पर्व आज शाम 7 बजे से 11:00 बजे तक श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि डॉक्टर गुरमीत सिंह के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में विशेष रूप से अमृतसर श्री दरबार साहब से भाई नरेंद्र सिंह जी ने शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। हेड ग्रंथि ज्ञानी परमजीत सिंह जी ने गुरु महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु अर्जुन देव जी का प्रकाश पंजाब के गोइंदवाल नगर जिला तरनतारन मे 1563 को पिता गुरु रामदास जी और माता भानी जी के घर हुआ। गुरु अर्जन देव जी की जिंदगी, आदर्श और योग्यता को देखते हुए गुरु रामदास जी ने उन्हें गुरता गद्दी की बख्शीश की। गुरु अर्जुन देव जी ने अपने जीवन में मानवता के भले के लिए अनेक कार्य किए और हमेशा ही सबको भले के कार्य करने का उपदेश दिया है। उन्होंने पहले 4 गुरुओं की और भक्तों की वाणी को एक जगह एकत्र करके आदि बीड़ की संपादना की।