लखनऊ। राजधानी में जल्द ही गणेश चतुर्थी की धूम शुरू होने वाली है। जगह-जगह पर पंडाल बनाने की तैयारी जोरों पर है। इस बार शहर के सबसे बड़े गणपति पंडालों में से एक झूलेलाल वाटिका में सातवीं शताब्दी में बने महारानी पद्मावती के चित्तौड़ के महल की तरह गणपति पूजा का पंडाल बनाया जा रहा है। इस भव्य पंडाल का ढांचा बनकर तैयार हो गया है। बता दें कि सात सितंबर से गणपति पूजा शुरू होनी है।
14000 वर्ग फीट में सजेगा पंडाल
इस साल श्रीगणेश प्राकट्य कमिटी की ओर से हनुमान सेतु के पास स्थित श्री झूलेलाल वाटिका में 14,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में महल तैयार करवाया जा रहा है। पंडाल का ढांचा बनकर लगभग तैयार हो गया है। मुंबई के श्रीसिद्ध विनायक मंदिर की तर्ज पर यहां पर भी सिद्ध विनायक का दरवार सजाया जाएगा।
वातानुकूलित और वॉटरप्रूफ होगा पंडाल
गणेश चतुर्थी का त्योहार सात सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इसी दिन से पंडाल में पूजा आरंभ होगी। कमिटी के संरक्षक भारत भूषण गुप्ता के अनुसार यह महलनुमा पंडाल लगभग 90 फुट ऊंचा और पूरी तरह वातानुकूलित व वॉटरप्रूफ रहेगा। कोलकाता से आए लगभग 30 कारीगर इसे 10 अगस्त से तैयार कर रहे हैं।
झूलेलाल वाटिका गणेश उत्सव
गोमती नदी के किनारे झूलेलाल वाटिका में स्थित यह भव्य पंडाल लखनऊ का एक प्रसिद्ध आकर्षण है। यह त्योहार और विसर्जन समारोह के दौरान 10 दिनों तक भारी भीड़ खींचता है , जिससे यह शहर का सबसे लोकप्रिय पंडाल बन जाता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि आप पास में ही हनुमान सेतु और हनुमंत धाम मंदिर भी जा सकते हैं, जो यहाँ से कुछ ही दूरी पर हैं! पंडाल में मूर्ति को हर साल की तरह ही आकर्षक आभूषणों और सजावट से सजाया जाता है। इसके अलावा, पंडाल के आस-पास लगने वाले मेले में सभी के लिए खाने-पीने की कई तरह की चीजें, राइड्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम और बहुत कुछ होता है।
मनौतियों की चिट्ठी के लिए अलग से पंडाल
कमिटी के अध्यक्ष घनश्याम अग्रवाल ने बताया कि मनौतियों के राजा गणपति को चिट्ठी लिखने के लिए इस बार चार हजार वर्ग फुट में अलग से एक भव्य पंडाल बनाया जाएगा। इस बार लोगों को चिट्ठी लिखने के लिए विशेष कागज मिलेगा।
सिद्ध विनायक मंदिर जैसी मूर्ति स्थापित होगी
झूलेलाल वाटिका में तैयार हो रहे पंडाल में मुंबई के श्रीसिद्ध विनायक मंदिर की प्रतिमा की तरह मूर्ति मूर्ति स्थापित की जाएगी। पीछे का बैक ग्राउंड भी सिद्ध विनायक मंदिर जैसा ही होगा। शहर के ही मूर्तिकार श्रवण प्रजापति साढ़े पांच फुट ऊंची गणेश जी की प्रतिमा बना रहे हैं।
अलीगंज के राजा का गणेश पंडाल
अलीगंज सेक्टर बी के खूबसूरत चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थापित इस पंडाल को इस साल अपने पिछले स्थान गुलाब वाटिका से अलग कर दिया गया है। यह उत्साही आगंतुकों से गुलजार है और इसमें एक शानदार, नारंगी रंग की भगवान गणेश की मूर्ति है। यहाँ एक अनोखी बात यह है कि यहाँ प्रसिद्ध हस्तियों और भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी देने वाले स्टैंडीज मौजूद होंगे। ये स्टैंडीज जिज्ञासु मन, खासकर बच्चों को बहुमूल्य ज्ञान प्रदान करने के लिए निश्चित हैं। अगर आप इस अनमोल रत्न को देखना चाहते हैं, तो देर न करें क्योंकि यह कल तक ही उपलब्ध है।
मेयर ने झूलेलाल वाटिका गणेश महोत्सव की तैयारियों का लिया जायजा
लखनऊ। श्री गणेश प्राकट्य कमेटी की ओर से इस वर्ष 7 से 17 सितम्बर तक झूलेलाल वाटिका मे होने वाले श्री गणेश महोत्सव की तैयारियों का निरीक्षण करने राजधानी की महापौर सुषमा खर्कवाल आज कार्यक्रम स्थल पहुंची। इस दौरान उन्होंने संबंधित विभागों को समस्याओं को दूर करने का शीघ्र निर्देश दिया। मेयर ने कार्यक्रम स्थल पर कूड़े के ढेर, गंदगी को सफाई करने निर्देश दिया।
कार्यक्रम के दौरान टॉयलेट की व्यवस्था करने आसपास की खराब सड़कों को तुरंत ठीक करने व सड़कों पर खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटलाइटों को तुरंत ठीक करने का संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि समय से पहले समस्याएं दूर हो जानी चाहिए।
इस मौके पर संरक्षक भारत भूषण गुप्ता, अध्यक्ष घनश्यामदास अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पार्षद रंजीत सिंह, महामंत्री सतीश अग्रवाल, संजय सिंह गाधीं, अखिलेश बंसल, गोपाल अग्रवाल, विनोद अग्रवाल मौजूद रहे। सभी ने मेयर जी से गणेशोत्सव मे आने का आग्रह भी किया।
लखनऊ के गणेशगंज में 4 दशक से मनाया जा रहा गणेश उत्सव
हाथी-घोड़े के साथ निकलती थी गणेश विसर्जन यात्रा
लखनऊ। तहजीब के शहर-ए-लखनऊ का हर रंग निराला है। पहले आप की परंपरा को लेकर पूरी दुनिया में लक्ष्मण नगरी का कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण द्वारा बसाई इस नगरी में नवाबियत की शान-ए- शौकत के किस्सो हर जुबां पर सदियों बाद भी सुनाई देता। हर समाज को अपने आंचल में समेटे खुद को उनके साथ समाहित करने की खूबियां ही लक्ष्मण नगरी को खास बनाती है। बात जब गणेशोत्सव की आती है तो नाम महाराष्ट्र का सबसे पहले आता है। न्यू हैदरगंज के व्यापारी सत्यनारायण अग्रवाल सहित कई व्यापारियों की पहल पर चार दशक पहले गणेशोत्सव की शुरूआत लक्ष्मणनगरी में हुई।
गणेशोत्सव से जुड़े रहे अंब्रीश अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र की तर्ज पर गणेशगंज के संतोषी माता मंदिर मैदान व गीता भवन में गणेशोत्सव की शुरूआत हुई। मेरी उम्र उस समय 10 से 12 साल थी। मुझे याद है कि हाथी घोड़े व गाजेबाजे के साथ विसर्जन यात्रा निकलती थी और सभी प्रमुख मार्गों से होती हुई शहीद स्मारक पर विजर्सन यात्रा निकलती थी। ढाल ताशे पर थिरकते श्रद्धालुओं की टोलियां शहर के सभी हिस्से से आकर यात्रा में शामिल होती थीं। इस परंपरा का निर्वहन अभी भी हो रहा। भेड़ी मंडी के महाकालेश्वर मंदिर स्थान नया, परंपरा पुरानी: समय के साथ सबकुछ बदला और इस सबसे पुरानी पूजा का स्थान बदल गया। भेड़ी मंडी के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पिछले 12 वर्षों से तीन दिवसीय पूजा हो रही है। गणेशोत्सव पूजा समिति के अध्यक्ष अंब्रीश अग्रवाल ने बताया कि स्थान भले ही नया हो, लेकिन पूजन का स्वरूप अभी भी पुराना है। एक हजार आठ बार गजानन के नाम का जाप होता है। सुंदरकांड के साथ ही प्रथम पूज्य देव के सभी पूजन विधि विधान से किए जाते हैं।
फूलों की बारिश:
शहर की सबसे पुरानी गणेश पूजा से जुड़े हरि अग्रवाल ने बताया कि विसर्जन के दौरान लोग छतों पर खड़े होकर फूलों की वर्षा करते थे। पूजन में उत्तर प्रदेश तत्कालीन राज्यपाल गनपत राव देवजी तापसे भी गीता भवन इस सबसे पुरानी पूजा में शामिल हो चुके हैं। वह महाराष्ट्र के रहने वाले थे और यहां के इस प्रयास की सराहना किया करत थे। प्रदेश में वह दो अक्टूबर 1977 से 27 फरवरी 1980 तक राज्यपाल थे।