लोक चौपाल में तुलसी और लोकभाषा पर चर्चा
लखनऊ। संस्कृत के प्रकांड विद्वान होते हुए भी गोस्वामी तुलसीदास ने न केवल लोकभाषा को संरक्षण दिया अपितु लोक को परम्पराओं की परिधि में मयार्दा का पाठ भी पढ़ाया। लोक को समझाने का यह महत कार्य लोकभाषा में ही सहज सम्भव था। ये बातें तुलसीदास और लोकभाषा विषय पर केन्द्रित लोक चौपाल में साहित्यकार डा. शशिकान्त गोपाल ने कहीं। गोस्वामी तुलसीदास जयंती के उपलक्ष्य में लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा गोमतीनगर के विनय खण्ड स्थित कलाकार नेहा प्रजापति के आवास पर आयोजित चौपाल में गोस्वामी जी पर चर्चा के साथ ही हनुमान चालीसा की संगीतमय प्रस्तुति और कृष्णभजनों की सरिता भी प्रवाहित हुई।कार्यक्रम का शुभारंभ अविका गांगुली ने मोहन बिन राधा भई बावरी से कियासौम्या गोयल, मिहिका, अविका, आद्रिका मिश्रा, अव्युक्ता, स्मिता पांडे, अमेया सिंह व कर्णिका सिंह ने सामूहिक रूप से अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम् सहित कृष्ण भजनों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। नृत्य गुरु निवेदिता भट्टाचार्य के निर्देशन में अव्युक्ता ने गुरु वंदना, गुना श्री आर. ने गोकुल की गलियों में देखो धूम मची है आज, आद्रिका मिश्रा ने श्यामा आन बसो वृंदावन में तथा सुमन मिश्रा ने कैसे जाऊं मैं पनिया भरन को सखी पर मनमोहक नृत्य किया। सितार पर मिहिका गांगुली ने संगत की। गीतकार सौरभ कमल ने स्वरचित गीत सुनाये। इस अवसर पर वरिष्ठ संगीतज्ञ गायत्री डेविड, लोक चौपाल की प्रभारी अर्चना गुप्ता, संस्थान की संरक्षक आभा शुक्ला सहित अन्य लोग मौजूद रहे। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि आगामी सात सितम्बर की सायं संगीत नाटक अकादमी की वाल्मीकि रंगशाला में स्मृति शेष संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव की 94वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्वरांजलि का आयोजन किया जा रहा है।