नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामलों में प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच का सामना कर रहे कार्ति चिदंबरम को मई के महीने में अमेरिका, जर्मनी और स्पेन जाने की मंगलवार को इजाजत दे दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि कार्ति चिदंबरम को उनकी विदेश यात्रा के लिए पहले लगाई गई शर्ताे के अनुसार ही जाने की अनुमति दी जाती है।
शीर्ष अदालत ने इस साल जनवरी में
शीर्ष अदालत ने इस साल जनवरी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल के यहां दस करोड़ रूपए जमा कराने के बाद विदेश जाने की अनुमति दी थी। न्यायालय ने इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर कार्ति को एक लिखित आश्वासन दाखिल करने का निर्देश दिया था कि वह भारत लौटेंगे और जांच में सहयोग करेंगे। न्यायालय ने कहा था कि यदि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया तो उनके साथ सख्ती से पेश आया जाएगा।
जांच एजेन्सी ने इससे पहले विदेश जाने के लिए
जांच एजेन्सी ने इससे पहले विदेश जाने के लिए कार्ति के आवेदन का विरोध किया था और कहा था कि वह सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं और जांच में सहयोग भी नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से जांच पूरी होने में विलंब हो रहा है। जांच एजेन्सी ने न्यायालय से कहा था कि पिछले छह महीने में कार्ति चिदंबरम 51 दिन विदेश रहे हैं। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 सितंबर को कार्ति को 20-30 सितंबर तक ब्रिटेन जाने की अनुमति प्रदान की थी। कार्ति के खिलाफ अनेक आपराधिक मामलों में प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा है। इसमें आईएनएक्स मीडिया को विदेशी से 305 करोड़ रूपए का विदेशी धन प्राप्त करने के प्रस्ताव को विदेशी निवेश संर्वद्घन बोर्ड की मंजूरी से संबंधित मामला भी शामिल है। आईएनएक्स को जब इसकी मंजूरी दी गई थी तो कार्ति के पिता पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे।