बलरामपुर गार्डन में राष्ट्रीय पुस्तक मेला : तीसरा दिवस
लखनऊ। अगर आप जागरूक हैं तो हर चीज आध्यात्मिक है और अगर जागरूक नहीं, तो सब कुछ भौतिक है। ऐसा ही कुछ फलसफा यहां बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों का भी माना जा सकता है। यहां बड़ी तादाद में धर्म, अध्यात्म की पुस्तकें हैं, जो मोटे अनुमान के अनुसार बिक्री में साहित्य के मुकाबले आगे ही हैं और यहां आने वाले किताबों के जरिये अपने लिये अध्यात्म के द्वार खोलने को उत्सुक दिखायी दे रहे हैं।
पुस्तक मेले का तीसरे और रविवार के दिन आज सुबह से ही भीड़ शुरू हो गयी। मेले में पहली बार आये गीता प्रेस के स्टाल पर मानस के विशिष्ट संस्करण के संग भागवत पुराण, नारद पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ हैं तो कल्याण पत्रिका के विशिष्ट अंक भी हैं। राष्ट्रधर्म प्रकाशन के स्टाल पर भी राष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेष अंकों के साथ अन्य प्रकार का साहित्य उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के स्टाल पर अध्यात्म और दर्शन से सम्बंधित प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के साथ संस्कृत साहित्य भी प्रचुर मात्रा मे है। रामकृष्ण मठ के स्टाल में रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द की पुस्तकों में युवा पाठक खासी रुचि दिखा रहे हैं। आचार्य श्रीराम शर्मा की धर्म-अध्यात्म और धार्मिक ग्रंथों की सरल व्याख्या करती सैकड़ों पुस्तकें गायत्री ज्ञान मंदिर के स्टाल पर हैं। आर्य प्रतिनिघि सभी के स्टाल पर सत्यार्थ प्रकाश जैसी पुस्तकें हैं। योगदा सत्संग के स्टाल पर योग और ध्यान से सम्बंधित पुस्तकें हैं। अहमदिया मुस्लिम कम्यूनिटी के स्टाल पर इस्लाम से सम्बंधित साहित्य है तो गिडियान्स के स्टाल पर लोगों को बाइबिल भी उपलब्ध है।
साहित्यिक मंच पर गौतम बुक सेंटर और सिद्धार्थ बुक्स के संयोजन में आज सुबह पूर्व जिला न्यायधीश श्यामबिहारी वर्मा की वैचारिक और सामाजिक पुस्तकों सत्य-असत्य और न्याय पथ का विमोचन हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से आयोजित काव्यगोष्ठी के संग पुस्तकों का विमोचन हुआ। अरुण सिंह के संचालन में राजकुमार सिंह के सद्य प्रकाशित दूसरे काव्य संग्रह उदासी कोई भाव नहीं पर परिचर्चा में सर्वेन्द्र विक्रम, योगेश मिश्रा, राजेश चन्द्रा के संग पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने विचार व्यक्त किये। राजकुमार सिंह ने काव्य पाठ भी किया। इससे पहले अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर द्वारा निर्भय नारायण गुप्त निर्भय के गीत संग्रह तम को तो आखिर मिटना है का विमोचन सम्मान समारोह एवं काव्य सम्मेलन के साथ हुआ। अध्यक्ष प्रो.हरिशंकर मिश्र और वक्ता डा.अनिल मिश्रा ने गीत के विभिन्न अवयवों को व काव्य और गीत को परिभाषित करते हुए गीतों की समीक्षात्मक विवेचन किया। ओम नीरव और राजेंद्र शुक्ल राज द्वारा गीत संग्रह की विस्तृत समीक्षा की। शाम को दौलतदेवी स्मृति संस्थान का कार्यक्रम हुआ।
अबके बिछुड़े फिर न मिलेंगे पुस्तक का विमोचन
पूर्व मुख्य सचिव शम्भूनाथ ने किया पुस्तक का विमोचन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में चल रहे 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले के मंच पर रविवार शाम बहुप्रतीक्षित काव्यसंग्रह अबकी बिछुड़े फिर न मिलेंगे का विमोचन कार्यक्रम के अध्यक्ष, पूर्व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शम्भूनाथ के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमरेश कुमार, विशिष्ट अतिथि कनक रेखा, शोभा बाजपेयी, प्रज्ञा बाजपेयी, हिन्दी वाङ्गमय के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र नाथ कपूर, डाक्टर अरविंद चतुवेर्दी (आईपीएस अधिकारी, )वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी व काव्यसंग्रह का पद्यानुवाद करने वाले लेखक राम किशोर बाजपेयी के साथ पुस्तक के प्रकाशक प्रकाश पेकेजर्स के एमडी अमित भार्गव भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों व प्रेक्षकों का स्वागत डॉ. लक्ष्मी शंकर मिश्र अध्ययन संस्थान के प्रतिनिधि अनिल मिश्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कांत तिवारी ने किया।
यह काव्यसंग्रह मुख्यत: वर्ष 1751 में प्रसिद्व ब्रिटिश लेखक टॉमस ग्रे की कविता संग्रह ‘एलेजी रिटेन इन अ कंट्री चर्चयार्ड’ का पद्यानुवाद है। लेखक राम किशोर बाजपेयी ने बताया कि इस सुप्रसिद्ध काव्यरचना के 32 छंदों का पहली बार हिन्दी में पद्यानुवाद किया गया है।
प्रज्ञा बाजपेयी ने पुस्तक के बारे में बताया कि पुस्तक तीन हिस्सों में लिखी गई है। उन्होंने बताया कि पुस्तक जीवन की महत्ता आपसी समरसता में है के बारे में जानकारी देती है, मृत्यु अमीर और गरीब में भेद नहीं करती और ना ही कोई अमीर सुंदर कब्र से अपने किसी अपने को वापस बुला सकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शंभुनाथ जी, प्रोफेसर शैलेन्द्र नाथ कपूर, कनक रेखा चौहान, शोभा वाजपेयी, प्रज्ञा बाजपेयी ने इस पद्यानुवाद पुस्तक को समाज के लिए अमूल्य कृति बताया।