मुंबई। शिवसेना ने शनिवार को कहा कि राम जन्मभूमि एक भावनात्मक मुद्दा है और इसे मध्यस्थता के जरिए हल नहीं किया जा सकता। पार्टी ने केंद्र से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने और राम मंदिर का निर्माण शुरू करने को कहा है।
शिवसेना ने पूछा कि जब राजनेता
शिवसेना ने पूछा कि जब राजनेता, शासक और सर्वाेच्च न्यायालय अब तक इस मुद्दे को हल नहीं कर सके तो फिर ए तीन मध्यस्थ क्या करेंगे। मध्यस्थता का एक और मौका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो अयोध्या में दशकों पुराने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संभावित हल की संभावना मध्यस्थता के जरिए तलाशने की कोशिश करेगी। आध्यात्मिक गुरु और ऑर्ट ऑफ लीविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू भी इस समिति के सदस्य होंगे।
शिवसेना ने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय
शिवसेना ने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला टाल दिया और अब इस मामले पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में पूछा, एकमात्र सवाल यह है कि अगर इस मामले का मध्यस्थता से हल हो सकता तो फिर यह विवाद 25 सालों से क्यों चल रहा होता और सैकड़ों लोगों को क्यों अपनी जान गंवानी पड़ती? इसमें कहा गया, देश के राजनेता, शासक और उच्चतम न्यायालय इस मामले को हल नहीं कर पाए और क्या मध्यस्थ अब ऐसा कर पाएंगे। इसमें कहा गया, अगर इतने सालों में इस मुद्दे पर विरोधी पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं थे तो अब उच्चतम न्यायालय ऐसा क्यों कर रहा है?
अयोध्या सिर्फ जमीन विवाद का मुद्दा नहीं है
अयोध्या सिर्फ जमीन विवाद का मुद्दा नहीं है बल्कि यह भावनात्मक मुद्दा था। ऐसा अनुभव किया जा चुका है कि मध्यस्थता ऐसे संवेदनशील मामलों में कारगर नहीं होती। सामना में उद्घव ठाकरे के नवंबर 2018 के अयोध्या में विवादित स्थल के दौरे का संदर्भ देते हुए कहा गया, लोग यह चाहते हैं कि केंद्र को एक अध्यादेश लाना चाहिए और राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू करना चाहिए। हमनें भी अयोध्या में यही बात कही थी। शिवसेना ने पूछा, जिस तरह कश्मीर राष्ट्रीय पहचान और गर्व का मुद्दा है, राममंदिर भी हिंदू गर्व का मुद्दा है। लेकिन राम हिंदुस्तान में निर्वासन में हैं। अपनी 1500 वर्ग फुट जमीन के लिए, भगवान राम को मध्यस्थों से बात करनी होगी। अब भगवान भी कानूनी विवाद से नहीं बच सकते। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?