लखनऊ। लखनऊ में भारत एवं म्यांमार की सह-अध्यक्षता में विशेषज्ञ कार्य समूह तीसरे चक्र का आयोजन किया जायेगा। लखनऊ में 11 मार्च से 16 मार्च तक चलने वाले तीन वर्षीय फील्ड ट्रैनिंग एक्सरसाइज़ (एफटीएक्स)2019 में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। जिसकी शुरूआत सोमवार से होगी। इस कार्यक्रम में दक्षिण एशियाई देशों के संगठन के लगभग 250 प्रतिनिधि भाग लेंगे जिनमें इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलिपिन्स, म्यॉमार, वियतनाम, कंबोडिया, ब्रुनी एवं लॉस एवं आसियान प्लस देशों के अमेरिका, रूस, चीन, आस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड एवं दक्षिण कोरिया सम्मिलित है।
मित्र देशों एवं मेजवान देशों प्रेक्षक बड़ी संख्या
इस कार्यक्रम में मित्र देशों एवं मेजवान देशों प्रेक्षक बड़ी संख्या में भाग लेंगे। यह बहुराष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रम के शुरूआती समारोह का आयोजन सेना चिकित्सा कोर केन्द्र एवं कालेज के स्टेडियम में होगा। इसके बाद लखनऊ छावनी स्थित सूर्या खेल परिसर में कई एक्सरसाइज आयोजित किये जायेंगे । इस एक्सरसाइज का उद्देश्य आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यो के तहत मास कैजुआलिटी मैनेजमेन्ट, एयरो मेडिकल इवैकुएशन, केमिकल स्पिल मैनेजमेन्ट एवं हेल्थ मैनेजमेंट आदि के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाना है।
इस एक्सरसाइज का लक्ष्य आपदा
इस एक्सरसाइज का लक्ष्य आपदा के दौरान सैन्य तालमेल बढ़ाने के साथ-साथ पोली टेमा एवं संक्रामक बीमारियों के प्रबंधन लिये आसियान एवं आसियान प्लस देशों को एक साझा मंच बनाने एवं संस्थागत ढ़ाचे का प्रदान करना है। इस प्रशिक्षण अभ्यास में आसियान एवं आसियान प्लस देशों के अन्तराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को फील्ड इंटीग्रेशन ट्रैनिंग, कमान पोस्ट एक्सरसाइज, होस्ट नेशन एक्सरसाइज तथा वेलीडेशन एक्सरसाइज के तहत प्रशिक्षण दिया जायेगा।
वेलीडेशन एक्सरसाइज 15 मार्च 2019 को आयोजित
वेलीडेशन एक्सरसाइज 15 मार्च 2019 को आयोजित होगी जिसे आसियान एवं आसियान सेन्टर फॉर सैन्य मेडिसन के प्रेक्षकों सहित मित्र देशों एवं भारतीय सशस्त्र बलों के वरिष्ठ प्रेक्षक अवलोकन करेंगे। इस प्रशिक्षण अभ्यास का समग्र लक्ष्य आसियान सदस्य देशों एवं आसियान प्लस देशों के सशस्त्र बलों के मध्य संयुक्त आपरेशनों में उनकी क्षमता को बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त एशिया प्रशान्त क्ष क्षेत्रों में किसी भी संभावित आपदाओं से निपटने के लिये रैपिड रिस्पांस टीमों को तैयार करना एवं आसियान एवं आसियान प्लस देशों के बीच सैन्य चिकित्सा सेवाओं की समझ को बढ़ाना है।