प्रभावित होते शिक्षा सत्र

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शिक्षा सत्र 2019-2020 पूरा भी नहीं हुआ था कि मार्च 2020 के प्रथम सप्ताह में कोरोना के मामले देश में तेजी से बढ़ने लगे जिसके कारण सीबीएसई बोर्ड सहित अनेक राज्यों की बोर्ड परीक्षाओं को बीच में ही रोकना पड़ा और कुछ महत्वपूर्ण विषयों की परीक्षाएं लेकर छात्रों को पास कर दिया गया। कक्षा दस और 12 को छोड़कर ज्यादातर कक्षाओं के छात्र, यहां तक कि कालेज और विश्वविद्यालय के छात्र भी बिना परीक्षा के पास किये गये।

शिक्षा सत्र 2019-20 के दौरान पढ़ाई तो लगभग पूरी हो गयी थी लेकिन परीक्षा ठीक से नहीं हो पायी जिसके कारण छात्रों का मूल्यांकन नहीं हो सका। इसके बाद शिक्षा सत्र 2020-21 की शुरुआत देश में कंपलीट लॉकडाउन से हुई। 25 मार्च से 31 मई तक कुल 68 दिनों का कंपलीट लॉकडाउन रहा और इस दौरान स्कूल की बात तो दूर सब कुछ बंद रहा, लेकिन जब 1 जून 2020 से चरणबद्ध तरीके से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गयी तो भी स्कूलों को नहीं खोला गया और यह उचित भी था क्योंकि तब कोरेना के मामले लगातार बढ़ रहे थे।

सितम्बर 2020 में जब कोरोना की पहली लहर का पीकआउट हुआ और देश में 17 सितम्बर 2020 के बाद कोरोना के मामले घटने लगे तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय की गाइड लाइन में स्कूल खोलने की बात कही गयी लेकिन पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि छात्र शिक्षक से मिलकर उनसे पाठ्य विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते थे। कुल मिलाकर स्कूल शिक्षा सत्र 2020-21 के दौरान पूरी तरह से बंद रहे। कुछ राज्यों में जनवरी या फरवरी से स्कूल खोले गये लेकिन पढ़ाई नाम मात्र की हुई।

उत्तर प्रदेश में कक्षा नौ से 12 तक के स्कूल खोले गये लेकिन सप्ताह में दो दिन और आधी क्षमता से कक्षाएं चलायी गयीं। कोरोना गाइड लाइन के चक्कर में महीने भर में छात्र महज सात-आठ दिन कक्षा में गये और वह भी तीन-चार घंटे के लिए। इस तरह पूरा शिक्षा सत्र बिना पढ़ाई के बीत गया। एक लंबे तक छात्रों को अगर पढ़ाई और परीक्षा से दूर रखा जाता है तो इससे छात्रों की विषय के प्रति रुचि घट सकती है और इससे उनका कॅरियर प्रभावित होगा।

चूंकि छात्र बीते शिक्षा सत्र में पूरे साल स्कूल नहीं गये और और कक्षा नौ से नीचे के छात्रों को बिना मूल्यांकन के ही पास कर दिया गया, इस तरह शिक्षा सत्र 2019-20 में परीक्षा नहीं हुई और 2020-21 में पढ़ाई और परीक्षा दोनों नहीं हुई और छात्र पास किये गये। 2021-22 तीसरा शिक्षा सत्र है जो कोरोना के कारण प्रभावित होने जा रहा है।

शिक्षा कोई जादू नहीं है कि ऑनलाइन घोर कर घंटे भर में पिला दें और छात्र विषयों के ज्ञाता बन जायें। अध्ययन, अध्यापन और परीक्षा यह कठिन तपस्या है और यह साधना जब नियमित तौर पर शिक्षक और छात्र करते हैं तब जाकर किसी विषय को छात्र अच्छी तरह से समझ पाता है। 1 अप्रैल 2021 से नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण स्कूल बंद कर दिये गये हैं। इससे पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में पंचायत चुनाव जैसी प्रक्रिया चल रही है लेकिन स्कूल बंद कर दिये गये हैं। यह एक तरह से शिक्षा के प्रति हमारे लापरवाह नजरिए का परिणाम है कि बिना सोचे-समझे स्कूल बंद कर देते हैं। सारे काम हो सकते हैं तो स्कूल क्यों नहीं खुल सकते हैं? स्कूल बंद करने के बजाय सरकार को पढ़ाई शुरू करने की पहल करनी चाहिए। पढ़ाई और कोरोना से बचाव दोनों एक साथ हो सकता है।

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