इस्लामाबाद। पाकिस्तान के परमाणु बम का जनक माने जाने वाले और परमाणु प्रसार में अपनी भूमिका को लेकर बदनाम रहे परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का संक्षिप्त बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे। वर्ष 1936 में भोपाल (अविभाजित भारत) में जन्मे और 1947 में विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान आकर बसे खान ने इस्लामाबाद के खान रिसर्च लैबोरेटरीज (केआरएल) अस्पताल में आज सुबह सात बजे (स्थानीय समयानुसार) अंतिम सांस ली। सरकार संचालित एसोसिएटेड प्रेस आफ पाकिस्तान के मुताबिक, खान को कोराना वायरस से संक्रमित होने के बाद 26 अगस्त को केआरएल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें रावलपिंडी में एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन वायरस संक्रमण से उबरने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। जियो न्यूज की खबर में बताया गया है कि सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत के बाद उन्हें आज तड़के अस्पताल लाया गया।
चिकित्सकों के मुताबिक खान के फेफड़ों में रक्तस्राव के बाद उनकी स्थिति बिगड़ने लगी। फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया और उन्हें बचाया नहीं जा सका। गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा कि उन्हें बचाने के सभी प्रयास किए गए। खान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने ट्विटर पर कहा, डॉ अब्दुल कादिर खान के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। 1982 से उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता था। उन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए परमाणु प्रतिरोध विकसित करने में हमारी मदद की, और एक कृतज्ञ राष्ट्र इस संबंध में उनकी सेवाओं को कभी नहीं भूलेगा …। प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह, डॉ ए क्यू खान के निधन से बहुत दुखी हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, हमें परमाणु हथियार संपन्न देश बनाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें हमारे देश ने प्यार दिया था। इसने हमें आक्रामक एवं बहुत बड़े परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की है। पाकिस्तान के लोगों के लिए वह एक राष्ट्रीय प्रतीक थे।