संगीत की मलिका को सुरों की श्रद्धांजलि
खनकै कंगनवा झनन बोले झांझ…
लखनऊ। संगीत की मलिका प्रो. कमला श्रीवास्तव को सुरों की श्रद्धांजलि दी गई। शनिवार को उनकी 93वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में लोक संगीत के साथ साथ विभिन्न शास्त्रीय रागों में निबद्ध रचनाओं की संगीतबद्ध प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की रसमंच योजना के अन्तर्गत वाल्मीकि रंगशाला में आयोजित स्वरांजलि कार्यक्रम में पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह, वरिष्ठ लोक गायिका पद्मा गिडवानी, लोकविद् डा. रामबहादुर मिश्र, जीतेश श्रीवास्तव, विनीत सिन्हा व सुधा द्विवेदी ने प्रो. कमला श्रीवास्तव के लोक अवदान पर अपने विचार रखे।
पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव लोक एवं शास्त्रीय-उपशास्त्रीय संगीत की गायिका, शिक्षिका, गीतकार और गुरु के साथ ही जीवन के अंतिम वर्षों तक सक्रिय और उत्साही रहीं। उन्होने अपना जीवन संगीत में डूबकर जिया। वे पुराने और नए संगीतकारों के बीच सेतु थीं। सांस थमने के बाद अपनी काया भी चिकित्सा छात्रों के लिए दान कर दिया। प्रो. कमला श्रीवास्तव की छोटी बहन एवं सेवानिवृत प्राचार्य विनीत सिन्हा ने उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये वहीं लोकविद् डा. रामबहादुर मिश्र ने उन्हें अवध और अवधी लोक संस्कृति का मजबूत स्तम्भ बताया। जीतेश श्रीवास्तव एवं लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने प्रो. कमला श्रीवास्तव के सानिध्य में हुए संस्थान के महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया।
स्वरांजलि का शुभारम्भ नीरा मिश्रा ने मोरे अंगना तुलसी का चौरा से किया। कार्यक्रम में प्रो. कमला श्रीवास्तव द्वारा सिखाये पारम्परिक गीत, उनके लिखे तथा स्वरबद्ध किये अन्य लेखकों की रचनाओं की ही प्रस्तुतियां हुईं। संगीत भवन की ओर से सौम्या गोयल व साथी कलाकारों ने राग केदार में निबद्ध जय जय आदि कुमारी जय हे की प्रस्तुति दी वहीं राग बहार में निबद्ध नमो कालरात्रि नमो देवमाता पर नेहा प्रजापति व साथी कलाकारों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। गायिका प्रीति श्रीवास्तव ने कल कितनी रात सुहानी थी, कल्पना सक्सेना ने जयति जय जय शैलपुत्री, रचना गुप्ता ने जरा कह दो सांवरिया से, सुषमा प्रकाश ने खनकै कंगनवा झनन बोले झांझ, अंजलि सिंह ने निमिया के डार मैया, अपर्णा सिंह ने नन्ही नन्ही बुंदिया परै लागी अंगना, डॉ. पूनम श्रीवास्तव ने रिमझिम बरसे कारी बदरिया, इन्दु सारस्वत ने चुपाई रहो दुलहिन मारा जाई कउवा, शक्ति श्रीवास्तव ने चकिया कै पटवा मा पिसत पिसनवा, शकुन्तला श्रीवास्तव ने सिया रानी ने जाये दुई ललनवा बिपिन कुटिया में, अर्चना गुप्ता ने ठुमुकि चलत रघुरइया हो रामा दशरथ अंगना, रश्मि उपाध्याय ने राम जी का आज कर्णछेदन, अरुणा उपाध्याय ने अवधपुरी में ब्याहन आये, शारदा पाण्डेय ने चूड़ी चुनरिया चढ़ाऊ, गीता शुक्ला ने ए हो रघुरइया जतनिया बताई दीहो, मनु राय ने इस धारा में डूब न जाऊँ माझी तुम पतवार संभालो, साधना भारती ने सैंया जाने देओ नइहरवा, सरिता अग्रवाल ने गोमती नदी के किनरिया आपन लखनऊ सहरिया, रेखा अग्रवाल ने नथुनिया के मोती झलमल झलके, राशि श्रीवास्तव ने नीमा तले अमवा के तले देवी रूम झूम, अल्पना श्रीवास्तव ने सावन ऋतु आय गई, दीपिका मिश्रा ने ए हो जनमी है बिटिया हमार, मीनू पाण्डेय ने लागी ब्याह के लगन सखी, सुनीता श्रीवास्तव ने सावन में हिया हुलसावा हो हरी मेंहदी ले आवा, मीना मिश्रा ने नईहर से भइया हमरे अइहैं लियावन, कविता सिंह ने तेरी ऊँची री अटरिया मैं तो देखन चली, अलका चतुवेर्दी ने ममतामयी महागौरी मां, लक्ष्मी जोशी ने देवी सुरसती मइया की महिमा अपरम्पार, चित्रा जायसवाल ने आवा आसाढ़ घिर आये बदरवा, श्रीमती मधु माथुर ने जगदम्बा महारानी दयानी हो सहित रिंकी सिंह विश्वकर्मा ने गावो बधइया बजाओ सहनाइया के माध्यम से प्रो. कमला श्रीवास्तव को अपनी स्वरांजलि दी वहीं ज्योति किरन रतन व अन्य ने नृत्य प्रस्तुतियों से लोगों को भावविभोर किया। इस अवसर पर श्रीमती आभा शुक्ला, निवेदिता भट्टाचार्य, हेमलता त्रिपाठी, डा.एस.के.गोपाल, गीतकार सौरभ कमल, गौरव गुप्ता, कैप्टन प्रखर गुप्ता सहित अन्य मौजूद रहे।