नई दिल्ली। निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज के बेड़े में शामिल कुल 119 विमानों में से 49 विमान खड़े हो चुके हैं। इनमें से अधिकतर विमानों के जमीन पर खड़ा होने की वजह कंपनी द्वारा उनके पट्टे का किराया नहीं चुका पाना है।
कंपनी के मौजूदा समय में केवल
कंपनी के मौजूदा समय में केवल 70 ही परिचालन में हैं। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, इस समय एयरलाइन केवल 70 विमानों का परिचालन कर रही है। इससे पहले दिसंबर तक कंपनी के 100 विमान सेवा में थे। जेट एयरवेज के बेड़े में विमानों की संख्या कुल संख्या 119 है। अधिकारी ने कहा कि कंपनी के बाकी 49 विमान खड़े हैं। कंपनी से कहा गया है कि वह सुनिश्चित करे कि इस वजह से रद्द हो रही उड़ानों के चलते यात्रियों को कोई परेशानी ना हो।
अधिकारी ने संकेत दिया
अधिकारी ने संकेत दिया कि स्थिति बड़ी नाजुक है और कंपनी के और विमान भी खड़े हो सकते हैं। कंपनी को निर्देश दिया गया है कि उड़ान भरने में पूरी तरह से सक्षम विमानों को ही परिचालन में लगाया जाना चाहिए। अधिकारी ने कि सात फरवरी को जेट एयरवेज ने चार विमानों के खड़े किए जाने की सूचना दी थी। तब से वह लगातार नियामक डीजीसीए को इस संबंध में जानकारी दे रही है। कंपनी ने नियामक को यह भी सूचना दी है कि उड़ान रद्द होने की स्थिति में यात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है या उन्हें उचित मुआवजा दिया जा रहा है।
इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं
ग्राहकों की ओर से उसे इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज नकदी की कमी के भारी संकट से गुजर रही है। इसके चलते वह पट्टे पर लिए विमानों का किराया नही चुका पा रही है। किराया न चुकाए जाने के कारण कंपनी को लगभग 25 विमान खड़े करने पड़े हैं। जेट एयरवेज के मुख्य वित्त अधिकारी अमित अग्रवाल ने 15 फरवरी को यह घोषणा की थी कि 31 दिसंबर 2018 को समाप्त तिमाही में कंपनी का सकल कर्ज बढ़कर 7,654 करोड़ रुपए हो गया। इस तिमाही में कंपनी का एकल शुद्घ घाटा 587.77 करोड़ रुपए था। डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार जनवरी में जेट एयरवेज की बाजार हिस्सेदारी 11.9 प्रतिशत रही।